Friday, April 19, 2024

न्यूज़ अलर्ट
1) मल्टी टैलेंटेड स्टार : पंकज रैना .... 2) राहुल गांधी की न्याय यात्रा में शामिल होंगे अखिलेश, खरगे की तरफ से मिले निमंत्रण को स्वीकारा.... 3) 8 फरवरी को मतदान के दिन इंटरनेट सेवा निलंबित कर सकती है पाक सरकार.... 4) तरुण छाबड़ा को नोकिया इंडिया का नया प्रमुख नियुक्त किया गया.... 5) बिल गेट्स को पछाड़ जुकरबर्ग बने दुनिया के चौथे सबसे अमीर इंसान.... 6) नकदी संकट के बीच बायजू ने फुटबॉलर लियोनेल मेस्सी के साथ सस्पेंड की डील.... 7) विवादों में फंसी फाइटर, विंग कमांडर ने भेजा नोटिस....
मुंबई में सेवानिवृत्ति समारोह संपन्न
Tuesday, June 2, 2020 3:49:37 PM - By विनय सिंह

त्रिभुवन सिंह की विदाई समारोह का दृश्य

12 दिसंबर 1979 को पुणे में आर.पी.एफ सिपाही के रूप में भर्ती होने के बाद से लगभग 40 वर्षो तक रेलवे की सेवा की। ट्रेनिंग हुई बिना(म.प्र.) और चिकहिल(सोलापुर) में। पहली पोस्टिंग कुर्ला कारशेड में और आखिरी पोस्टिंग वडाला रोड में हुई। मात्र 314 रुपए वेतन से शुरुआत करने वाले सब इंस्पेक्टर त्रिभुवन सिंह उर्फ टी.एन.सिंह सेवानिवृत हो गए। कोरोना के कारण एक सादे समारोह में उनके छोटे भाई सब इंस्पेक्टर एन.पी.सिंह और परिवार के अन्य सदस्य मौजूद रहे।

त्रिभुवन सिंह ने अपने विदाई समारोह के भावुक क्षणों में बताया कि, “4 मई 1960 को जौनपुर जिले के एक छोटे से गांव ‘छत्तिसा कला’ में ‘त्रिभुवन सिंह’ का यानि मेरा जन्म हुआ। मेरे जीवन का सफर भी एक आम भारतीय जैसा ही प्रारम्भ हुअा। वर्ष 1970 के दिसंबर माह की एक सर्द रात में माताजी के करुण क्रंदन ने हमारे परिवार के जीवन की कहानी को ही बदल दिया। थोड़ी ही देर में हमारे दरवाजे पर जनसैलाब उमड़ पड़ा। जिसको देखो वही रो रहा था, लग रहा था जैसे पेड़ पौधे जानवर सब रो रहे थे। हां, पिताजी का साया हमारे ऊपर से उठ गया था। मैं भी बस रोए जा रहा था, इसका कोई एहसास नहीं था कि भविष्य में इसका क्या परिणाम होने वाला है। ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे हमें अब इसी तरह जीवन भर रोना पड़ेगा। चूँकि सभी बच्चों में सबसे बड़ा और समझने लायक मैं ही था। एक दिन अकेले में मां को रोते देखा, मुझसे मां का विलखना बर्दास्त नहीं हुआ। मैंने मां के पास जाकर प्यार से उसका हाथ पकड़कर धीरे से कहा, मां आज से मैं तेरी नाव को पार लगाऊंगा। तब से लेकर आज तक मैं अपनी मां को दिए वचन का निर्वहन करने के लिए संघर्ष कर रहा हूँ।

मैं इसमें कितना सफल हुआ कितना असफल, इसका निर्णय मेरी मां के अलावा कोई नहीं कर सकता। उसी संघर्ष की कड़ी में एक अविस्मरणीय पड़ाव आज 31 मई 2020 को समाप्त हुआ है,जब मैं सेवानिवृत्त हो रहा हूं। आज मेरा परिवार वट वृक्ष के समान विशाल हो चुका है। सभी लोग अपने पैरों पर खड़े हो चुके हैं। जो राह हम भाइयों ने बनाई उस राह पर पूरा परिवार अग्रसर है। खुशी इस बात की है कि आज भी हमारा परिवार संयुक्त है। ईश्वर से प्रार्थना है कि इसी तरह सभी सफलता प्राप्त करते रहें और आजीवन प्रसन्न रहें।”