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तेरी होली मैं मनाऊं, तू मना ले मेरी ईद / सैयद सलमान
Thursday, April 4, 2024 12:55:07 PM - By सैयद सलमान

एक तस्वीर ख़ूब वायरल होती है जिसमें दाढ़ी-टोपी वाले एक पुरुष और हिजाब पहने उसकी साथ वाली महिला को लोग रंग लगा रहे हैं और वह बड़ी शांति से लगवा भी रहे हैं। तस्वीर में एक सिख भाई भी नज़र आ रहा है
साभार - दोपहर का सामना 29 03 2024

रंगारंग होली का त्योहार बीत गया। वह होली जिसमें कहा जाता है कि रंगों में भरकर प्यार बरसाया जाता है। वह होली जिसमें कहा जाता है कि होली में दुश्मन भी गले मिल जाते हैं। वह होली जिसके रंगों की छटा में हर ग़म भुला दिए जाते हैं। वह होली जो सार्वभौमिकता का प्रतीक है। नज़ीर बनारसी के शब्दों में कहें तो,
कहीं पड़े न मोहब्बत की मार होली में
अदा से प्रेम करो दिल से प्यार होली में।
लेकिन इस बार होली के त्योहार में मोहब्बत के रंग बिखेरने के बजाय कुछ तत्वों ने नफ़रत भरकर सियासी रंग से सराबोर पिचकारियां तैयार कर रखी थीं। कुछ घटनाएं ऐसी हुईं जिस से रंग में भंग पड़ गया। अनेक जगह से मुस्लिम समाज की महिलाओं, पुरुषों, विशेषकर युवतियों पर उनकी मर्ज़ी के बिना रंग डालने या उनके साथ बदतमीज़ी की घटनाओं वाले वीडियो वायरल हुए। ख़ास बात यह कि रंग लगाते या उद्दंडता करते समय 'हर हर महादेव' और 'जय श्रीराम' का नारा भी लगाया गया ताकि अपने कृत्य को धार्मिक जामा पहनाकर ख़ुद को सही ठहराया जा सके। उत्तर प्रदेश के बिजनौर में होली का जश्न मना रहे कुछ उपद्रवियों का एक परिवार को परेशान करने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर सबसे ज़्यादा वायरल हुआ। वायरल वीडियो में दिखता है कि कुछ युवक मोटरसाइकिल पर सवार एक पुरुष और दो महिलाओं को घेरे हुए है। कुछ लड़के महिलाओं पर पाइप से पानी डालते नज़र आते हैं। मुस्लिम महिलाएं इसका विरोध करती हैं, लेकिन उपद्रवी लड़के नहीं मानते। वे महिलाओं पर बाल्टियों से पानी डालते हैं, चेहरे पर जबरन रंग लगाते हैं, उनकी मर्ज़ी के बगैर उन्हें छूते हैं। वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस चार लोगों को गिरफ़्तार कर लेती है। इसमें से तीन आरोपी नाबालिग़ हैं। एक उत्साह भरा पर्व कड़वी यादों में तब्दील हो जाता है। कुछ पल की यह घटना मुस्लिम समाज के उस परिवार की नज़र में हिंदू भाइयों के प्रति कड़वाहट घोल जाती है, जबकि गिरफ़्तारी, थाना-पुलिस के चक्कर की वजह से हिंदू भाइयों के परिवारों में मुसलमानों के प्रति और भी घृणा भर जाती है। यह दुःखद है।

तस्वीर का दूसरा रुख़ भी कम रोचक नहीं है। मिसाल के लिए जामिया मिल्लिया में मुस्लिम लड़कियों के पहले अपना रोज़ा खोलने और फिर होली खेलने का वीडियो भी ख़ूब वायरल होता है। अब यह बात भी कुछ लोगों को नागवार गुज़रती है। एक तस्वीर ख़ूब वायरल होती है जिसमें दाढ़ी-टोपी वाले एक पुरुष और हिजाब पहने उसकी साथ वाली महिला को लोग रंग लगा रहे हैं और वह बड़ी शांति से लगवा भी रहे हैं। तस्वीर में एक सिख भाई भी नज़र आ रहा है। कहीं कोई कड़वाहट नहीं, कोई मलाल नहीं। सबसे बड़ी मिसाल तो उत्तर प्रदेश के बाराबंकी स्थित प्रसिद्ध सूफ़ी संत हाजी वारिस अली शाह की मज़ार पर खेली जाने वाली होली की है जिसका लोगों को हर वर्ष इंतज़ार रहता है। इस दरगाह पर ऐसी होली मनाई जाती है, जहां जाति और धर्म की साड़ी सीमाएं टूटती नज़र आती हैं। यहां हिंदू और मुस्लिम मिलकर होली खेलते हैं और एक-दूसरे से गले मिलकर जश्न मनाते हैं। दिल्ली के हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह पर भी यही नज़ारा होता है। उनके शागिर्द और मशहूर सूफ़ी और हिंदवी शायर अमीर ख़ुसरो की यह पंक्तियां मन को मोह लेती हैं जब वो होली पर कहते हैं,
रैनी चढ़ी रसूल की सो रंग मौला के हाथ,
जिसके कपरे रंग दिए सो धन-धन वाके भाग।

सिर्फ़ अमीर ख़ुसरो ही नहीं बल्कि कई सूफ़ी संतों और मुस्लिम शायरों और कवियों ने होली के अवसर पर गीत, ग़ज़ल, ठुमरी, शायरी और कविताएं लिखी हैं जो देश की संस्कृति और एकता को दर्शाती हैं। कट्टरवाद भले ही इनकी आलोचना करे लेकिन वह अपने लक्ष्य से नहीं डिगे। वर्तमान दौर में भी एक तरफ़ देश के चुनिंदा राजनेता पूरे देश में धार्मिक उन्माद और विद्वेष फैला कर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं और पूरे देश को धर्म के नाम पर बांट रहे हैं, वहीं समाज में ऐसे लोग भी हैं जो देश की एकता और भाईचारे की मशाल को थामे हुए हैं। होली का त्योहार प्राचीन काल से मनाया जाता रहा है। हालांकि आधुनिक समय में मेल-मिलाप की परंपरा कमज़ोर होने के कारण होली का उत्साह और रंग फीका पड़ा है। ऐसा महसूस हो रहा है मानो देश की गंगा-जमुनी तहज़ीब की प्रतीक होली को नज़र लग गई है। होली जमकर खेलिए, लेकिन इतना ज़रूर ध्यान रखिए कि किसी दूसरे मज़हब के व्यक्ति पर उसकी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ रंग न डाला जाए। आज के दौर में हमवतन भाइयों से यही कहना है,
आ मिटा दें दिलों पे जो स्याही आ गई है,
तेरी होली मैं मनाऊं, तू मना ले मेरी ईद।


(लेखक मुंबई विश्वविद्यालय, गरवारे संस्थान के हिंदी पत्रकारिता विभाग में समन्वयक हैं। देश के प्रमुख प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं।)