अपने ही बने अपनों की जान के दुश्मन
दिल्ली: निज़ामुद्दीन

किसी ने ठीक ही कहा है,“हमें तो अपनों ने लूटा गैरों में कहाँ दम था, मेरी कश्ती वहाँ डूबी जहां पानी कम था”। जी हाँ ठीक समझा आपने, मैं बात कर रहा हूँ उन लोगों की जिन्होंने अपनी हरकतों से अपना ही नहीं अपने परिवार, समाज और अपने देश को शर्मशार कर दिया । भारतीय इतिहास में भी देश विरोधी कारनामों को अंजाम देनेवाले लोगों की कमी नहीं थी । ऐसे लोगों को देश का गद्दार कहा जाता था । इन्होंने अपने देश को शर्मशार कर दिया और इन्हीं गद्दारों के कारण भारत सैकड़ों वर्षों तक गुलामी की जंजीर में जकड़ा रहा।

जब-जब इतिहास में पृथ्वीराज चौहान का नाम लिया जाएगा, तब-तब जयचंद को एक देशद्रोही और गद्दार के रूप में अवश्य याद किया जाएगा। जयचंद को लेकर एक मुहावरा खूब चर्चित है, “जयचंद तूने देश को बर्बाद कर दिया, गैरों को लाकर हिन्द में आबाद कर दिया”। जयचंद ने मुहम्मद गोरी से मिलकर पृथ्वीराज चौहान जैसे पराक्रमी राजा को बंदी बना लिया और बाद में उन्हें मौत के घाट उतार दिया । इसी तरह मुग़लों के अत्याचार से लोहा लेने वाले महाराणा प्रताप के समकालीन रहे राजा मानसिंह ने मुग़लों के साथ मिलकर देश को एक और पराक्रमी देशभक्त से वंचित करना चाहा लेकिन हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप ने राजा मानसिंह को मारकर उसकी गद्दारी की सजा दे दी। मीरजाफ़र ने ‘प्लासी की लड़ाई’ में अंग्रेजों के साथ मिलकर अपने ही राजा सिराजुद्दौला को धोखा दिया और भारत में अंग्रेजी राज की नींव रखी । बंगाल की सत्ता से मीर जाफ़र को हटाने के लिए अंग्रेजों ने उसके करीबी मीर कासिम का इस्तेमाल किया। दक्षिण भारत में टीपू सुल्तान का परचम लहरा रहा था तभी अंग्रेजों ने मीर सादिक़ नामक उसके मंत्री की सहायता से दक्षिण भारत में प्रवेश किया। यानि कुछ बाहरी लोगों के बहकावे में आकार सदियों से हमनें अपना ही नुकसान किया है।

देश की आजादी के तुरंत बाद देश को विभाजन की समस्या से जूझना पड़ा। कश्मीर की समस्या ने सिर उठाया और देश को आतंकवाद नामक दानव से दो-चार होना पड़ा । इस्लामिक कट्टरपंथियों ने कश्मीर की आजादी के नाम पर जिहाद का रास्ता अपनाने के नाम पर युवाओं को गुमराह किया गया । देश की आज़ादी से लेकर यहाँ की संस्कृति, सभ्यता और इतिहास के योगदान को भुलाकर मुस्लिम समाज को संदेह की दृष्टि से देखा जाने लगा। देश में आतंकवादी घटनाएँ बढ़ने लगी और मुस्लिम समुदाय को शर्मसार होना पड़ा । वर्तमान समय में पूरा विश्व कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है । चीन, स्पेन, ब्रिटेन, इटली, जर्मनी, ईरान, अमेरिका जैसी महाशक्तियाँ कोरोना के सम्मुख लाचार नज़र आ रहीं हैं । भारत में भी कोरोना ने अपना पैर पसारना शुरू कर दिया है। सरकार ने पूरे देश में लॉकडाउन लागू कर दिया है। किसी भी देश के पास इस बीमारी का इलाज नहीं है। इस संक्रामक बीमारी से बचने का सामाजिक अलगाव(सोशल डिस्टेन्सिंग) ही एकमात्र तरीका है ।

सरकार के दिशानिर्देशों के बीच एक ऐसी घटना सामने आई जिससे पूरा देश स्तब्ध रह गया । जी हाँ ! सम्पूर्ण लॉकडाउन के बाद भी दिल्ली के निज़ामुद्दीन मरकज़ में तबलीगी जमात के हजारों लोग शामिल हुए । इस मरकज में शामिल लोगों को सरकारी आदेश का पालन नहीं करने के लिए उकसाया गया और कहा गया कि कोरोना कोई बीमारी नहीं है। यह केवल हमें मस्जिद में नमाज पढ़ने से रोकने के लिए कहा जा रहा है, यदि मौत आनी ही है तो मस्जिद से अच्छी जगह नहीं हो सकती। मौलाना के इस देश विरोधी तक़रीर के बाद देश भर में इनके खिलाफ लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और चारों ओर जमात के लोगों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की मांग उठने लगी। बात इतनी ही होती तो कोई बात नहीं थी, मरकज़ खाली होने के बाद जमाती अपने-अपने राज्यों में चले गए । अस्पताल जाकर अपनी जांच नहीं कराई । सरकार के सख्ती के बाद इन्हें इलाज के लिए अस्पताल लाया गया जहाँ पर इनमें से कुछ लोगों ने इलाज कर रहे डॉक्टरों और नर्सों के साथ दुर्व्यवहार किया उनके ऊपर थूका और अश्लीलता की। बात इतनी ही होती तो कोई बात नहीं थी इसके बाद सोशल मीडिया में अफवाह आने लगी कि मुस्लिमों को कोरोना नहीं होता। टिकटोक , व्हाट्स ऐप , फेसबुक और अन्य सोशल साइट्स पर अफवाहें फैलने लगीं। जबकि भारत में अब तक 3374 कोरोना मरीज पाए गए जिसमें से 1023 लोग दिल्ली के मरकज में शामिल हुए लोग हैं। इनमें से लगभग 15 से 20 जामतियों की मृत्यु हो चुकी है।
देश में कोरोना से बचाव के लिए मंत्री से लेकर संतरी, सफाई कर्मी से लेकर डॉक्टरों ने कोरोना से लड़ाई के लिए दिन-रात एक कर दिया है परंतु कुछ लोग कट्टरपंथियों के बहकावे में आकर सुरक्षाबलों और स्वास्थ्य कर्मियों पर हमले कर रहे हैं। दिल्ली से लौटे जमाती अश्लीलता और दुर्व्यवहार कर रहें हैं। स्वास्थकर्मियों और सुरक्षाकर्मियों के साथ सहयोग नहीं कर रहें हैं। उनके व्यवहार को देखकर लगता है कि वे इस घातक बीमारी को और फैलाना चाहते हैं। क्या इस देश के लोग उनके अपने नहीं हैं, क्या जमात से लौटे लोगों का अपना परिवार नहीं है या इन्हें अपनों की जान की परवाह नहीं है। इन्हें अपने समाज की परवाह नहीं है । आज चंद सिरफिरे लोगों की वजह से पूरा मुस्लिम समुदाय कटघरे में खड़ा हो गया है। परंतु क्या कुछ लोगों की वजह से पूरे मुस्लिम समुदाय को दोषी ठहराया जा सकता है?
हर समुदाय में असामाजिका तत्व होते हैं जो उस समाज की शर्मिंदगी का कारण बनते हैं । कोई धर्म या समुदाय बुरा नहीं होता है उनमें मौजूद कुछ दिशाहीन और अशिक्षित लोगों के कारण पूरे समुदाय को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है । आज जो भी जमाती करोना पॉज़िटिव पाया गया है उसके कारण उनके घर के लोगों की जान सबसे ज्यादा खतरे में पड़ गई हैं। इनके कारण मुस्लिम समाज को जो शर्मिंदगी उठानी पड़ी है इससे पता चलता है कि अपने ही अपनों के दुश्मन बन बैठे हैं। हिन्दू-मुस्लिम राजनीति करने वाले लोगों को एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करने का अवसर मिल गया है । सच्चाई यह है कि कोरोना का संकट तो कुछ दिनों में खत्म हो जाएगा लेकिन मुस्लिम समाज पर जो दाग लगा है उसपर चर्चा बहुत दिनों तक होती रहेगी ।