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सायरा बानो : जन्मदिन पर विशेष
Friday, August 23, 2019 - 10:44:59 PM - By वीरपाल सिंह

सायरा बानो : जन्मदिन पर विशेष
सायरा बानो
आज फिल्म जगत की सुप्रसिद्ध महान अदाकारा सायरा बानो का 76 वां जन्मदिवस है
23 अगस्त वर्ष 1944 को मसूरी में जन्मी सायरा बानो जी के बारे में विस्तार से जानने से पहले
तीस के दशक की मशहूर नायिका नसीम बानो को जानना बेहद जरूरी है
उस दौर में फिल्मों में आने वाली लड़कियों का फिल्मों में आना ठीक नहीं माना जाता था
रईस खानदान की नसीम ने जब फिल्मों में आने की जिद की तो परिवार का विरोध झेलना पड़ा
लेकिन निर्माता-निर्देशक सोहराब मोदी ने जैसे ही फिल्म हैमलेट में ओफलिया के किरदार के लिए नसीम को चुना तो सबका गुस्सा काफूर हो गया नसीम बानो जी की किस्मत जागी फिल्म "पुकार" से
जहांगीर के न्याय पर आधारित इस फिल्म में नसीम बानो जी ने नूरजहां का किरदार चंद्रमोहन के साथ निभाया था
और अपनी ही आवाज़ में एक गाना भी गाया था
जिसके बोल हैं
"जिंदगी का साज भी क्या साज है" "बज रहा है और बे आवाज है" नसीम बानो जी 30 के दशक की सभी सिने तारिकाओं में बेहद हसीन और शोख थीं , इसलिए उन्हें ब्यूटी क्वीन के नाम से भी पुकारा जाता है
जब सायरा को फिल्मों में लांच किया गया तो मां का ताज सायरा के सर पर रखा गया
नसीम बानो की उल्लेखनीय फिल्मों में चल चल रे नौजवान. उजाला. बेगम. और चांदनी रात है,नसीम बानो ने एहसान नामक एक अमीरजादे से निकाह किया था उन्होंने नसीम की खातिर कुछ फिल्मों का निर्माण भी किया,भारत विभाजन के बाद एहसान मियां पाकिस्तान जा बसे और नसीम बानो बेटे सुल्तान और सायरा लेकर लंदन जा बसीं
ताकि सायरा फिल्म जगत से दूर रहे
सायरा की शिक्षा दीक्षा लंदन में ही पुरी हुई,सायरा बानो बचपन से ही देश के कोहिनूर दिलीप कुमार की जबरदस्त प्रशंसक थीं और जब भी सायरा जी छुट्टियां मनाने भारत आतीं तो दिलीप कुमार साहब की फिल्मों की शूटिंग देखने घंटों स्टूडियो में बैठी रहतीं थीं ।
सायरा बानो ने एक साक्षात्कार में माना कि "जब वे 12 साल की थीं तब से अल्लाह से इबादत में मांगा करतीं थीं कि उन्हें अम्मी जैसी हीरोइन बनाना"
सायरा ने वर्ष 1961 में,केवल 17 वर्ष की उम्र में फिल्म जगत में कदम रखा और नसीम बानो के पुराने दोस्त रहे निर्देशक शशिधर मुखर्जी तथा सुबोध मुखर्जी ने मशहूर मारूफ अभिनेता शम्मी कपूर के साथ फिल्म जंगली में शानदार अभिनय किया
सायरा फिल्म जंगली को लेकर एक छोटा सा किस्सा बतातीं हैं कि शम्मी कपूर साहब उनसे नाराज हो गए थे
क्योंकि वह शूटिंग में परफॉर्म ठीक से नहीं कर पा रहीं थीं
तब शम्मी कपूर साहब ने डांटते हुए कहा अगर परफॉर्म ठीक से करना नहीं आता है,तो फिल्मों में क्यों चली आती हो?
श्वेत श्याम फिल्मों के जमाने में जंगली पहली रोमांटिक रंगीन फिल्म थी
जिसमें शम्मी कपूर साहब ने पहली बार याहू की हुंकार भरी जो सिनेमा प्रेमियों के घर-घर तक गूंजी,कश्मीर की मनमोहक वादियों बर्फ से लदे पेड़ और मैदान उसपर चहलकदमी करते तराने गाते छेड़छाड़ करते
दो जवान दिलों ने दर्शकों की धड़कनें बढ़ा दी थीं
फिल्म जंगली सुपरहिट साबित हुई और सायरा बानो की बम्बईया सिनेमा में धूम मच गई
सायरा बानो के लिए वर्ष 1964 बेहद खास था इस साल उनकी फिल्म
दूर की आवाज़. आओ प्यार करें. आई मिलन की बेला. और अप्रैल फूल जैसी फिल्मों ने दस्तक दी इसके बाद से सायरा बानो जी फिल्म इंडस्ट्री की बेहतरीन अदाकारा में से एक कही जाने लगीं
एक से एक सुपरहिट ब्लॉकबस्टर फिल्में देने के बाद
सायरा ने 11 अक्टूबर वर्ष 1966 को दिलीप कुमार_साहब के साथ निकाह कर लिया,उस समय सायरा जी की उम्र 22 साल तो दिलीप कुमार साहब की उम्र 44 साल थी।
हम सभी जानते हैं कि दिलीप कुमार और सायरा बानो की कोई संतान नहीं है इसका खुलासा खुद दिलीप कुमार साहब ने अपनी बायोग्राफी में किया है आपने बताया कि वर्ष 1972 में सायरा बानो जी प्रेग्नेंट थीं
लेकिन तभी उन्हें हाई ब्लड प्रेशर की समस्या भी हो गई
उस समय उनका आठवां महीना चल रहा था
उनकी हाई ब्लड प्रेशर की समस्या की वजह से सर्जरी करना भी उचित नहीं था और प्रेग्नेंसी के बीच एक फिल्म निदेशक ने फिल्म विक्टोरिया 203 की सायरा बानो जी को शूटिंग करने के लिए जोर दिया
लेकिन हॉस्पिटल में नवजात शिशु के जन्म के दौरान दम घुटने से नवजात बच्चे की मौत हो गई
इस घटना से दिलीप कुमार साहब इतने आहत हुए थे कि
"वे फूट फूट कर रोए थे'
इस घटना के बाद सायरा बानो जी कभी मां नहीं बन सकीं
इन दिनों सायरा बानो जी और दिलीप कुमार साहब बुढ़ापे की दहलीज पार कर चुके हैं अल्जाइमर की बीमारी के चलते सायरा जी ही उनकी एकमात्र याददाश्त का सहारा हैं,हर कहीं दोनों एक साथ आते जाते हैं
और एक दूसरे का सहारा बने हुए हैं कुछ पार्टियों पर फिल्म प्रीमियर के मौके पर भी नजर आते हैं
हालांकि दोनों का प्यार आज भी वैसा ही है जैसा शुरुआत में था आजकल सायरा बानो जी अपने खाली समय को समाजिक सेवा में लगा रहीं है और मुंबई के दंगों के बाद घायल लोगों के घाव पर मरहम लगाने अथवा उनके फिर से नई जिंदगी की शुरुआत करने के काम में मदद करतीं हैं
वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन फॉर रिलीफ एंड केयर सर्विसेज के
तहत बिना किसी धर्म और जाति संप्रदाय के भेदभाव के
सायरा बानो जी यह कार्य खुले दिल ओ दिमाग से कर रहीं हैं
सायरा आंटी जी आप वाकई
एक महान अदाकारा और उससे भी कहीं बेहतरीन पतिव्रता स्त्री हैं
दिलीप कुमार का शुरूआत से लेकर अबतक आपने भरपूर साथ दिया हैं
आपसे देश की समस्त महिलाओं को पतिव्रत धर्म निभाने की प्रेरणा लेनी चाहिए